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अन्नदाता

ऐसा भी एक दिन था, जब देश के खातिर भुखे ने भी उपवास रखा, देश के पहले नागरिक ने अपने आँगन में हल चलाया, तब लेकर हरित क्रांति की मिसाल किसान ने धरती से सोना उगाया, देश को अन्न का भंडार दिया, भूख से नाता तोड़ दिया, ये किसान है  माटी का लाल है दो धारी तलवार है कर ना साजिशें नीति बीच की। सत्य है  शाश्वत है ये वार पे वार सब बेकार है। देश का स्तंभ, इसे मौसमों से ना डरा, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर, दिन-रात, खेत-खलयान, खुला आसमान, सब हैं इसके सखा। हर गीत में, प्रीत में बसी है इसकी कथा। ये है  मेरा ''अन्नदाता'' "अन्नदाता सुखी भव" "अन्नदाता सुखी भव"               "अन्नदाता सुखी भव" 8/12/20 "किसान आंदोलन "

दीप

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एक दीप रोशनी से भरा, दसों दिशाँ प्रकाशित करे। हर्ष और उल्लास से, नव जीवन प्रतिष्ठित करे। एक दीप उमंग से भरा, भक्ति में रंगा जो अंतर्मन तलक, निर्भय और जागृति करे। अंधकार में, आशा की किरणें उम्मीद और विश्वास की, शक्ति सदा प्रज्वलित करे। समय के  चक्र में, घटित घटनाओं में मानव के हृदय को, संताप में आनंदित करे। मेरा कोटी कोटी नमन उस दीप को उस वीर को जो जन कल्याण में अपना सर्व जीवन समर्पित करे। एक दीप रोशनी से भरा, दसों दिशाँ प्रकाशित करे। हर्ष और उल्लास से, नव जीवन प्रतिष्ठित करे।

हे ज्योतिमय संत

हे प्रकाश के स्वामी, हे ज्योतिमय संत। करूँ तुम्हारी वंदन, हे निर्मल, पतंग अंधकार में भटकता, घट-घट तुमको ढूंढता, ये बैरागी मन। अज्ञानता भरी छाया, शूल से घायल काया, नश्वर अंतर्मन। अब प्रभात पट खोलो, अंध-उर प्रकाश भर दो, हे प्रभु दयावंत। हे प्रकाश के स्वामी, हे ज्योतिमय संत। करूँ तुम्हारी वंदन, हे निर्मल पतंग।

जीवन के दिन चार

जीवन के दिन चार रे भैया जीवन के दिन चार। प्रभु नाम की माला जपना; प्रभु नाम की माला जपना कट जायें दिन चार रे भैया! जीवन के दिन चार। दो दिन दुख के दो दिन सुख के; दो दिन दुख के दो दिन सुख के बीत गये दिन चार रे भैया! जीवन के दिन चार। एक सहारा प्रभु का द्वारा; एक सहारा प्रभु का द्वारा बाकी सब बेकार रे भैया जीवन के दिन चार।।

बापू की एक मुस्कान!

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युद्ध के मैदान हजारों लाखों हैं सैनिक हथियारों का है जखेड़ा नीतियाँ है, देश-विदेशी हजारों साल पुरानी योद्धा हो या महारथी हुआ सब निराधार बेअसर, बेकार शान्त हुई ज्वाला स्थिर हुआ तूफ़ान बापू की एक मुस्कान।। पूछो माँ भारती से मेरे शब्दों में कहाँ इतनी ताकत मैं करूँ बस बापू की इबादत जहाँ हुआ असम्भव बापू हैं वहाँ सम्भव विश्व में, हर जगह शान्ती का एक नाम बापू की एक मुस्कान।। छोड़ आये जिन्हें, पन्नों में भूल गये जिन्हें, बातों में धर्मों के ऊपर एक धर्म, धामों में हैं, एक धाम सत्य, अहिंसा, और प्रेम का नहीं कोई दूसरा परिधान बापू की एक मुस्कान।। समाज की संजीवनी समझ सको तो समझो जान सको तो जान एक सुत्र में बाँधना एकता की ताकत सत्य की एक पहचान भारत की एक शान बापू की एक मुस्कान।।

हम भारतवासी!

कैसी पहचान तुम्हारी कैसे तुम भारतवासी भेद भाव का चश्मा चढ़ाए क्या तुम हो भारतवासी। सरहद के आशिक को देश के सिवा कुछ याद कहाँ माटी के लाल को अन्न के सिवा कुछ याद कहाँ शब्दों में जहर कैसा है;ओ मृदुभाषी कैसे तुम भारतवासी। पूरब के हो या पश्चिम के उत्तर के हो या दक्षिण के रहते हो सब साथ साथ लड़ते हो दुश्मन के जैसे बताओ कहाँ के तुम निवासी कैसे तुम भारतवासी। हम तुम एक हो जाएँ एक बाग के फूल हो जाएँ नफ़रत और भेदभाव को भूलकर हम सब भारतवासी हो जाएँ सत्य, प्रेम और अहिंसा के हम पूजारी हम सब हैं भारत के वासी। गुलाबों का गुलिस्ताँ बनाएँ खुशहाल रहे ऐसी दुनियाँ बनाएँ आत्मनिर्भर और विश्वगुरू हो एक ऐसा हिन्दूस्ताँ बनाएँ यही हमारा काबा यही है काशी हम सब हैं भारतवासी।

हिन्दी के महासागर

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हिंदी के सागर में, जब भी हम जाएं। ज्ञान-रूपी मोती से, झोली भर लाएं। शब्दों के हैं शब्द कई, अर्थों के भी अर्थ निकलते। स्वर व्यंजनों के रूप में, गांव की बोली समेटे। जो भी गाएं व लिखें,  हिन्दी में सुनाएं। गद्य और पद्य की विधा, समृद्धि इसको बनाए। सरल, सहज और सुगमता  सब ज्ञान-आनंद पाए। देवनागरी लिपि में, गुण इसके गाएं। यह सिर्फ एक भाषा नहीं, ये है अभिमान हमारा। यूं ही जगमगाता रहे, हिन्दी का सूरज तारा। हम सब की ये चाहत है, भारत-वर्ष पाएं। हिंदी के सागर में, जब भी हम जाएं। ज्ञान-रूपी मोती से, झोली भर लाएं।

भारत भूमि

15अगस्त 1947 की रात को भारत देश नहीं भारत के लोग आजाद हुए थे। देश और देशवासियों को कुछ भी कहने और कुछ भी करने के लिए,  साथ ही आजाद हुए थे सिर्फ अपने भले के लिए।

सबके अपने अपने राम🙏

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 प्रभो करो ऐसी दया, जपूं राम ही राम। हो अगर कृपा आपकी, लिखूं जय सियाराम।। रोंम रोंम में राम बसे हैं कण कण में हैं राम ही राम। सबके अपने अपने राम मन तु भजले जय सियाराम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। माँ कौशल्या के लाडले राम मैया की गोद में खेले राम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। राजा दशरथ के प्राणों में राम दशरथ नंदन जय सियाराम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। भरत की तपस्या राम अपने खड़ाऊँ दे दियो राम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। लक्ष्मण के जीवन हैं राम अपने संग संग ले गए राम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। सीता के प्रियवर हैं राम पहले सीता फिर आए राम। जय सिया राम बोलो जय सियाराम।। केवट के तो  केेवट हैं राम देख चतुराई मंद मुस्कुराए राम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। अहिल्या के मुक्तिदाता राम चरण छूकर धन्य कर गए राम । जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। शबरी की पूजा हैं राम जूठे बेर खा गए राम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। सूग्रीव के दुःख हरता राम मान समान दे गए राम। जय सियाराम बोलो जय सियाराम।। हनुमन के तो राम ही राम मन में बस गए जय सियाराम। जय सियारा

मुंशी प्रेमचंद जी

* एक पाठक के तौर पर प्रेमचंद जी जैसे महान कथाकार की रचनाओं को पढ़ते समय, हर बार एक नई उम्मीद का सुखद एहसास होता है। मेरा सौभाग्य है कि मैं बचपन से लेकर अभी तक उनकी कहानी और उपन्यास पढ़ने का मौका मिला। * मुंशी प्रेमचंद जी एक महान लेखक होने के साथ-साथ वह आम जनता के लेखक भी थे। साहित्य द्वारा समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश देने वाले कलम के सिपाही, महान उपन्यासकार ' मुंशी प्रेमचंद जी को कोटि-कोटि नमन 🙏 💐 * उनका असली नाम धनपत राय था लेकिन साहित्य में उनकी ख्याति ने उन्हें प्रेमचंद बना दिया। आजादी की लड़ाई में प्रेमचंद जी ने अपनी कलम की ताकत से लेखनी के जरिए आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने का कार्य किया।अंग्रेज़ी हुकुमत उनकी लेखनी से डर गये थे और प्रेमचंद जी के कई महत्वपूर्ण लेख, पत्र और किताबों को जला दिया। इसके बावजूद भी प्रेमचंद जी ने अपना लिखना जारी रखा और समाज में फैली बुराइयों और रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ने के लिए कई उपन्यास और कहानीयाँ लिखी। * प्रेमचंद जी एक सच्चे भारतीय थे। वह भारत माँ के सच्चेे सपूूत हैं। प्रेमचंद जी  हिन्दी के पहलेे साहित्यकार थेे  जिन्होंनेे नेे  पूंज

गीत मोहब्बतों के भी लिखे जायेंगे।

यूँ ना बाँटो नफ़रतों की पर्चीयां,  गीत मोहब्बतों के भी लिखे जायेंगे। सितम चाहे कितने, भी कर लो, फूलों की ज़िद है, खिल ही जायेंगे। इतिहास जब भी, पढ़ा जाएगा, दर्शन आपके हर बार, किये जायेंगे। बीजों को गाड़ दो अतल में कहीं, एक दिन चीरकर पत्थर आ जायेंगे। एक खोजी, अंतर मन से हो जाग्रित, टूटे हुए कलम, फिर उठाए  जायेंगे। हम थे ही कब, जो सदा ही रहेंगे, बदलते दौर की कहानी बन जायेंगे।

हर हर महादेव की जय🙏

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         हर हर महादेव की जय🙏 डम डम डमरू वाले, मेरे श़म्भो भोले भाले, हे! विश्वनाथ. कैलाशी, भक्तों के तुम रखवाले, ओ बाबा डमरू वाले, मेरे श़म्भो भोले भाले।। जय शिवशंकर. जय गंगाधर, जय रामेश्वर. जय नागेश्वर, जय महाकाल. जय त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर. जय भीमेश्वर, हे!सोमनाथ. वैद्यनाथ. भूतनाथ हरे हरे, भक्तों पे दया करने वाले, ओ बाबा डमरू वाले, मेरे श़म्भो भोले भाले।। जब कमजोर विश्वास हुआ, आकर तुमने सम्भाल लिया, थामकर हाथ मेरा, मेरी हर ख़ता को माफ़ किया, मैं नाम जपु. सुबह-शाम जपु. तेरे दर पे डेरा डाले, ओ बाबा डमरू वाले, मेरे श़म्भो भोले भाले।। 🙏💐🙏

सरहदें

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सरहदें ये सरहदें, सरहदें हूं सरहदें ऊँची नीची, लम्बी-लम्बी कटीली, नुकिली, ये सरहदें सरहदें, ये सरहदें, सरहदें हूं सरहदें हिम से लदी अतल तक गड़ी रेत पे बिछी सागर में छुपी धरती माँ को, बाँटती सरहदें हां ये सरहदें,सरहदें हूं सरहदें खेलती है ये, खून की होलीयाँ बोलती है, अंगारों की बोलियाँ पहरेदारों के रक्त में नहाई जाबांजों के, सीने की गोलियाँ ये लाल लाल, लहु पीती सरहदें। सरहदें ये सरहदें हूं सरहदें ये  घर  आगंन; उदास गाँव  तस्वीरें को सीने से लगायी  मायें गोरी के माथे की लकीर  वो तरसती, नन्ही सी आँखें सब कहती हैं, सरहद की बातें सरहदें, ये सरहदें हूं सरहदें जब तिरंगे से लिपट के दीप से बन गये सितारे हो गये कुर्बान हँसते हँसते वो आशिक, सरहद वाले हो गये अमर, माँ के रखवाले सरहदें, ये सरहदें  हूं सरहदें तुने अर्जीयाँ, कहाँ लगाई ये मर्जीयाँ, किसको बताई किसने कि है, तेरी सुनवाई सुन ओ मेघा, सुन पुरवाई बता दे, कहाँ हैं तेरी सरहदें सरहदें, ये सरहदें हूं सरहदें आओ प्रेम का, दीप जलाएं शान्ति का, संदेश सुनाएं चलो एक, नईदुनियाँ बनाएं आओ, अमंबर हो जाएं

मैं कौन हूँ

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मैं कौन हूँ?  चंचल सी हवा बहती घटा हूँ  उजली सी! क्या ? मैं किरणें हूँ । मैं कौन हूँ?  खिलखिलाती सुबह की धूप हूँ शाम की! क्या? मैं लालिमा हूँ। मैं कौन हूँ?  खिलता फूल, बन गया बीज़ हूँ  प्रेम का! क्या? मैं अर्पित फूल हूँ। मैं कौन हूँ? नीला अम्बर, बदलता मौसम हूँ  सृजन की! क्या? मैं धरती हूँ। मैं कौन हूँ?  सूरज का तेज, चाँद की चाँदनी हूँ  अमावस का! क्या? टिमटिमाता जूगनू हूँ। मैं कौन हूँ?  निर्मल बहती नदियाँ की धार हूँ  मिलाप का! क्या? मैं सागर हूँ। मैं कौन हूँ?  शीत सागर, गंगा का निर्मल नीर हूँ  तपती! क्या? मैं रेगिस्तान हूँ। मैं कौन हूँ?  कविता का रस, गीत का संगीत हूँ  काव्य का! क्या?  मैं अलंकार हूँ । मैं कौन हूँ? कबीर के दोहे, संतों की वाणी हूँ प्रेम पुजारन! क्या? मैं मीरा हूँ । मैं कौन हूँ?   

सच को तो सिर्फ देखा जा सकता है

जो कहते हैं कि वो सच बोल रहे हैं वो उनका सच है, जो कह रहे हैं कि वो सच बेच रहे हैं वो अपना सच बेच रहे हैं, क्यों कि सच ना बोला जाता है ना ही महसूस किया जाता है। ''सच को तो सिर्फ देखा जा सकता है '' * सच तो सूरज की किरणें हैं  जिनके आने से धरती दुल्हन बन जाती है। * सच तो वो फूल हैं  जो हर सुबह सूर्य पर अपनी खुशबू, रंग और अपना सर्वस्त्र अर्पण कर देती है। *सच तो तिरंगे में लिपटा हुआ दीप है  जो बन गया  सितारा।

मेरे पिता जी

पिता  धरती पर सूर्य का रूप हैं पिता  छाँव है तपती दोपहरी में  पिता  आत्मविश्वास से भरे नसीह़त की रोशनी लिए  मेरा नव निर्माण किया। उँगली पकड़कर  दुनिया से साक्षात्कार किया। लड़खड़ाये जब भी कदम कंधों पर उठा लिया। जीत का मंत्र देकर संघर्ष के पथपर मुझे पहाड़ सा मजबूत  बना दिया। मतलबी दुनिया में  आप हिम्मत का दरिया हो परेशानियों में  दो धारी तलवार हो। असमंजस के पलों में  मैं तेरे साथ हूँ  तू ना घबराना  यह कहकर  मुझमें आत्मविश्वास भर दिया। हार जीत को मोल ना देकर  खुशियों का द्वार खोल दिया। मेरे हर दर्द में संजीवनी बूटी बनकर  मेरा दर्द मिटा दिया। पिता का साथ  जैसे महादेव का आशीर्वाद मिला।  धरती पर सूर्य का रूप हैं पिता।

चलो बापू को पढ़ते हैं

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चलो बापू को पढ़ते हैं। एक दिन नहीं, नित्य ही सत्य-अहिंसा के विचारों पर समूची दुनिया नत्मस्तक है बापू के जैसे प्रेम पथ चलते हैं। बन्धु सूत्र में विश्व को बांधे कर्तव्य परायणता धर्म मानें जन-जन के प्रेरणास्त्रोत हैं अंतिम-व्यक्ति की चेतना जगाते बापू के जैसे हम भी पहुंचते हैं। समय की सीमा से परे जन्म-मरण का चक्र तोड़े इतिहास की बोगी में बापू नर से नारायण बने बापू के जैसे महात्मा बनते हैं। दांडी की शांति यात्रा थमी अच्छाई भी राह भटकी मानवता किताबी न बन जाए हरि कहीं मूरत में न रह जाए चलो अहिंसा का बीज उगाते हैं। मानवता का प्रमाण दें भूल के सारे द्वेष धरकर बापू का भेष मन, क्रम, वचन से एक बापू के जैसे सदाचारी बनते हैं।

माँ

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मां को परिभाषित कर सकूं ऐसा कोई शब्द नहीं। ना स्याही है ना कलम है कोई कागज बना नहीं। तुम हर दिवस के पल पल में ईश्वर का साक्षात रूप हो। तुम सूरज हो हम सितारे मेरी सुबह की धूप हो। तुम्हीं धरती आसमान हो निर्मल गंगा की धारा। क्षमा, दया, करुणा, प्रेम का निर्मल,कोमल मन प्यारा। अबोध शिशु का ज्ञान तुमको उसके हर भाव समझती। दुआओं का काला टीका  छींक पे नजर उतारती। मैं तेरा पुजारी हूं मां तुमको शत् शत् नमन करें। तेरे मखमली आंचल की हमको शीतल छांव मिलें।

जो इसके विपरीत कहेंगे वहीं ''झूठ " होगा।।

सच को ढूंढ रही थीं हर किसी का सच सुन रही थीं सच को सुनते सुनते फिर झूठ को ढूंढने लगीं। कि तभी सच, झूठ के सारे परदे गिरे और  मुझे यथार्थ ही यथार्थ नजर आने लगा। हर तरफ, चारों ओर, सड़कों पे, पटरीयों पे जहाँ जहाँ.. पैदल चलने के मार्ग बने हैं उसके किनारों पे आस पास... झुंडों में अकेले में साइकिल से, ट्रकों में छूप छूप के, भर भर के। बंद घरों में सील हुईं सीमा में। लोगों के चेहरों और व्यवहार में। क्यों? आपने नहीं देखा सच इन सभी जगहों में आपसे मुलाकात तो हुईं होगी, आप झूठ बोल ही नहीं सकते हैं, क्यों कि जो इसके विपरीत कहेंगे वहीं ''झूठ " होगा।। धरती पे रहने वाले हर प्राणी, हर छोटे बड़े सभी को पता है। गंगा, यमुना भारत की हर नदी, झरने, तालाब सुखे और पानी से ढबा ढब भरे हुए। ऋतुओं को, धरती, अंबर को प्रकृति पर्वत, पेड़ पौधों को भी पता है सच का। आज सब जानते हैं सच जहाँ नजर दौड़ाते है बस सच ही है। जो इसके विपरीत रचेगा, गढ़ेगा, कहेगा वो छल होगा खुद के साथ। क्यों कि. सच सब देख रहे हैं, किसी से कुछ ना छूपा है। कवि इस सच पे कविता लिखेगें कई कहान

करोना ये क्या किया

सुनो करोना ये क्या किया धरा को हरा भरा किया प्रकृति को साफ़ किया पर इंसानों की बस्ती में क्यों? है सब कुछ रुका रुका।। करोना तुमने ये क्या किया।। रंग-बिरंगे, छोटे और बड़े महलों से सड़कों तक किसी में ना कोई भेद किया मुँह बाँधकर सब को एक क्यू में  खड़ा किया।। करोना तुमने ये क्या किया।। मुँह पर मास्क लगाये बहादुरी वाले, सेवा वाले हिम्मत वाले, सुरक्षा वाले डर के मारे, जबर्दस्ती वाले सबके मुँह को बाँध दिया।। करोना तुमने ये क्या किया।। नीले, काले, हरे, पीले मैचींग और डिजाइन वाले सस्ते  और शाही वाले घर पर बने और फ्री वाले कुछ नहीं तो गमछा लपेट लिया।। सुनो करोना तुमने ये क्या किया।। दो गज दूरी, बहुत जरूरी मंत्र ये सबने सिखा करके घरों में बंद लोगों की जान ली बहुतों को बिमार किया।। करोना तुमने क्या नहीं किया।।  हम परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होंगे ये नामुमकि है। मैंन  करोना के बारे में  कुछ शब्द लिखे हैं,  येे सब  ना केे बराबर  है । इसमें  ये बात साफ है कि  मैं भी डरी हुई हूँ और चिंतित भी हूँ कि ये सब कब खत्म होगा, आगे क्या होगा, जब  ये सब खत्म हो जायेंगा, तो हम

विश्व पृथ्वी दिवस

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विश्व पृथ्वी दिवस    तेरी अम्मा, मेरी अम्मा, सबकी प्यारी-प्यारी अम्मा, कौन? धरती अम्मा! हम सबकी प्यारी अम्मा! सबकी प्यारी धरती अम्मा! सबको अन्न बराबर देती, शुद्ध हवा और पानी देती, सबको करती प्यार बराबर कौन? धरती अम्मा! हम सबकी प्यारी अम्मा! सबकी प्यारी धरती अम्मा!

माफी

 *माफी धरती माँ, माफी सृष्टि माँ के नियमों की अनदेखी के लिए।   *हे प्रकृति माँ आज आप को खुद अपनी नाराजगी को जता कर इंसानों को सम्भलने का संदेश दिया। कि कुछ भी हो सकता है। नामुमकिन कुछ भी नहीं होता है।   *माफी भारत के लोगों से, जो इस विपरीत परिस्थितियों में भुख और प्यास के कारण घर से बाहर निकालने को मजबूर हो गये और आज की दौड़ती भागती दुनिया में भी मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं।   *माफी नन्हे नन्हे कदमों से जो थक जाने के बाद भी चलते रहे।   *माफी उन लोगों से जो चले तो थे घर जाने के लिए, पर आधे सफर में ही किसी और दुनिया की शहर पे चले गये और घर वालों को कभी ना खत्म होने वाला इंतजार दे गये।    * मैं विकल्प चुन रही थी          मगर हिचक रही थी            क्यों कि मेरे पास               जमा थोड़ी सुविधाएँ थी                 जो मेरी  सीमाएँ थी.....🙏

दीया🕯

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  ये दीया देश के नाम  🕯    ये दीया 🕯  प्रकृति माँ से माफी के लिए। खूबसूरत धरती माँ के लिए। विशाल अमबर के लिए। सूरज, चाँद, तारों के लिए। जल, अग्नि, वायु के लिए।    ये दीया 🕯  जीवन देने वाले परमात्मा के लिए। जीवन देने वाले हर क्षण हर कण के लिए। अन्नपूर्णा माता के लिए।    ये दीया🕯  उन सभी को जो मानव सभ्यता को सुरक्षित तथा स्वस्थ करने के लिए  बिना अपनी जान की परवाह किए हर पल, हर क्षण, दिन रात कार्य में लगे हुए हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में भी वो पूरे हौसले के साथ लोगों की देखभाल कर रहें हैं उनकी जान बचाने वाले रक्षकों के लिए।   ये दीया 🕯  मेडिकल स्टाफ के लिए। पुलिस और सेनाओं के लिए। सफाई कर्मचारियों के लिए। NGO में काम करने वाले हर सदस्य के लिए। देश की मदद करने वाले बड़े, छोटे हर व्यक्ति के समर्थन के लिए।   ये दीया🕯   संयम रखे सब्र किये , अपनी और अपनों की फिक्रमंद इंसान के लिए। मानव पर छाए कोहरे के छटने के लिए । घरों में बंद कामगारों के लिए।   ये दीया 🕯  हर पल हर क्षण मुश्किलों का सामना कर हर परिस्थितियों से लड़कर प्रगति की ओर अग्रसर रहती मानवता के लि

भारत के लोग

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हमारे देश में दो हिंदुस्तान बसते हैं। एक, वो जो भव्य अट्टालिकाओं में रहता है, दूसरा वो जो गरीबी में अपना जीवन यापन करता है। शहर में कुछ भी अनहोनी होती है तो पहली गाज इसी गरीबी में रहने वाले वर्ग पर गिरती है।    अक्सर हम ये पंक्तियाँ कई बार किताबों में पढ़े हैं  और कई नाटकों में सुनते भी हैं, आज हमने देखा भी कि सच में आज भी हमारे देश में दो हिन्दुस्तान बसते हैं।   हर बार की तरह मैं आज भी बंद खिड़की से सबकुछ देख रही हूँ,  एक वायरस ने पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। दौड़ती भागती दुनिया अचानक रुक सी गई है। इसका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर हुआ है। ये वर्ग के पास ना पैसा है और वायरस की वजह से सारे काम ठप पड़े गये हैं। जिसके कारण इनके स एक वक्त का अन्न भी नहीं है। अब ये लोग पैदल ही अपने गाँव को लौटने के लिए, हजारों मील चलने को मजबूर हो गये हैं। हम अक्सर कहते हैं कि हम सब एक हैं पर सच तो ठीक उलटा है जो आज साफ साफ नजर आ रहा है ,      आज मुझे मेरी औकात का पता चला, कि मैं घर पर बैठकर खाना खाने के सिवा कुछ नहीं कर सकतीं हूँ।आज ये जिन्दगी गुनाह सी लग रही है।😔 मैं

परीक्षा की घड़ी

#सच्चाई और अच्छाई से आप लोगों का दिल जीत सकते हैं, दुश्मन के मन में प्रेम के बीज बो सकते हैं। लोगों का नेतृत्व करती है। #अच्छाई और सच्चाई के रास्ते पर चलकर शायद शासन नहीं किया जाता है। अगर ऐसा होता तो गाँधी जी कुछ और साल हमारे पास रहते। बापू की अच्छाई और सच्चाई ने उन्हें हम सब से दूर कर दिया। #यहाँ हर कोई अपना काम कर रहा है। #एक चित्रकार, चित्र ही तो बनायेगा। #राजनेता, राजनीति ही करेंगे, इसमें बुराई क्या है, वह अपना काम बखूबी कर रहे हैं। बस देखना होगा इन विपरीत परिस्थितियों में कौन कितना सक्षम होता है अपने कार्य में। #यह परीक्षा की घड़ी है कि समय पर पकड़ बनाये रखने की क्षमता किसके नेतृत्व में है। अभी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है, कि इस समय  क्या-क्या हथकंडे अपनाये जाते हैं और जनता के दिल में कितना विश्वास जगा पाते हैं। ये तो शासक की रणनीति ही तय करेगी कि, इस तूफान में कौन स्थिर रहेगा और कौन बह जायेंगा। ये तूफान के थमने के बाद ही पता चलेगी। #अभी जनता घरों में बैठी है और आप आसानी से आज के युग में जनता को अपनी मौजूदगी का अहसास कराते सकते हैं। पर जनता और भी बहुत कुछ, देख भी रही है

करोना मुक्त भारत🙏⚘

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Thank you so much all medical staffs 🙏⚘ एक रिश्ता और भी है खुद से खुद के लिए।। मिलना जुलना तो होता रहेगा थोड़ी दूरी रखें जीने के लिए।। सब कुछ भूलकर डाॅक्टर तैनात है लड़ने के लिए।। थाली-ताली तो सब ठीक है घर पर रहो थैंक्यू कहने के लिए।। यहाँ अपना-पराया कोई नहीं तैयार है करोना फैलने के लिए।। संकल्प है सरकार के साथ हैं करोना को मिटाने के लिए।। कमजोर ना होंगे डटे रहेंगे स्वस्थ आज और कल के लिए।। हाथ बार-बार धोते रहेंगे जगह ना मिले छुपने के लिए।। सब अपना-अपना ख्याल रखें करोना मुक्त भारत के लिए।। जय हिन्द जय भारत 🙏⚘

#करोना

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जहाँ इंसान अपनी जान बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, वहीं पृथ्वी ने बिना एक पल गवाये चुप चाप अपने आप को स्वस्थ  (recover) कर लिया। प्रकृति अपने आप को स्वयं ही  स्वस्थ कर लेती है, यही प्रकृति का नियम है हम इंसानों को प्रकृति के इस नियम से सिखना चाहिए। हमें कुछ देर के लिए, या कभी कभी सब कुछ छोड़ कर प्रकृति के साथ बैठना चाहिए और उससे सिखना चाहिए कि बिना शोरगुल किये अपना काम कैसे किया जाता है।  #एक छोटा सा विषाणु धरती के गर्भ से बाहर निकला है  तो पूरे मानव सभ्यता खतरे में आ गयी है। धरती ने न जाने ऐसे ही कितने प्रकार के, इससे भी खतरनाक विषाणु अपने अंदर छिपाये है।🍁

दिल मेरी सुनता ही नहीं!

तुझ बिन अधूरी है ख्वाहिशें तुमसे मिलने कि है साजिशें  अब दिल मुझे मिलता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। तेरा आने का वादा है तुझसे मिलने का इरादा है ये दिल तुझे भुलता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। खो जाए तेरी यादों में ढुँढता है तुझको गलियों में ये दिल अब लौटता ही नही कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। सपने आंखों में सजाये कितने नगमे गुनगुनाये सहम कर कुछ कहता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। कितनी सदियां यूं बीत गयी बरसों तेरी खबर न आयी ये दिल अब धड़कता ही नही कि दिल मेरी सुनता ही नहीं ।।

चालाक आदमी बोला

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आज मैंने चालाक आदमी को देखा अपनी बंद खिड़की के शीशे से, वह सड़क पर कभी इधर कभी उधर लड़खड़ाते चल रहा है। चारों ओर धुआँ और आग ही आग है. गली, मोहल्ले सब जल रहे हैं तभी मैंने अपनी बंद खिड़की से देखा, कि एक भीड़  सड़क के  ओर से दौड़ती आ रही है, नारे लगाते, हाथ में डंडे लिए. जो रास्ते में है सब जलाते, चालाक आदमी के पास पहुँचे, उन्होंने उससे नाम पुछा और नारे लगाने को कहा पर वह सबका चेहरा देखकर हंस रहा है, भीड़ ने उसे पागल कहा और वहाँ से चली गईं। तभी दूसरी ओर से एक और भीड़ आ गई है, उसने भी नाम पुछा और नारे लगाये , चालाक आदमी अभी भी उनके चेहरे देख कर हस रहा है। वो भी उसे छोड़ कर आगे बढ़ गए हैं। चालाक आदमी आगे बढ़ने लगा कि पुलिस आ गयी, पुलिस ने कहा ' अबे पागल है ! यहाँ बीच सड़क पर क्या कर रहा है। तूने शराब पी हुईं है, यहाँ मर वर जायेगा, जा घर जा- परिवार वाले परेशान होंगे, जा घर जा , चालाक आदमी ने पुलिस को रुकने का इशारा किया और जेब में हाथ डालकर कुछ दिखाने लगा। पुलिस ने कहा ' अबे ये राख है इसका हम क्या करें। हमेशा चुप रहने वाले 'चालाक आदमी, आज बोला .....  अब मैं, अपना परि

''मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में,,

अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता / '' मनाली मत जइयो ,, से प्रेरित होकर लिखी गयी है। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। सुनो सिया, बनवास से पहले, मिल आना लक्ष्मी जीजी से, फिर आवेंगे लूटेरे पंचवटी में। धरोगी पाँव जो देहरी पे, ले जाना सीख शूटर दादी से, ना आवेंगे रक्षक अंधेर नगरी में। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। तुम चीखेगी, चिल्लाएगी, पर वो मुँह ना खोलेगी, खामोशी रहेगी शेरनी संसद में। बुलंद जो आवाज करोगी, देशद्रोही कहलाओगी, जला दी जाओगी लोकतंत्र में। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। (लक्ष्मी जीजी-राजस्थान की रहने वाली) (शूटर दादी- उत्तरप्रदेश की रहने वाली) 

🇮🇳 सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा 🇮🇳

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जब भी किसी देश की तरफ देखती हूँ तो सुकून अपने देश को देख कर ही मिलता है, और जो खुशी यहाँ कि सभ्यता और संस्कृति को जानने में मिलती है वह कहीं और ना मिला, भारत जैसा देश कहीं और नहीं है यहाँ तक कि भारत का एक अंश भी कहीं नहीं पढ़ पाती हूँ। मैं किसी और देश तो नहीं गयी पर कभी-कभी गुगल के द्वारा जानने की कोशिश करती हूँ तो कुछ नया मिला ही नहीं। जब भारत को पढ़ने लगती हूँ, तो हर पन्ने में सबकुछ नया होता है। इसलिए माफ कीजिए भारत के सिवा कुछ और पढ़ ही नही पाती हूँ। भारत का इतिहास कितना गौरवशाली है। महान लोगों की गाथा, वीरों की कुर्बानी ये सब पढ़कर मन गगदद हो जाता है।देश के बारे में बताने लगी तो मेरा समय खत्म हो जायेगा पर देश की बातें नही।  🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 💖  

मुद्दा राजनीति का

#देश जल रहा है राजघाट पर कोई रो रहा है  #देश की राजनीति, देश की जनता को कुछ सोचने ही नहीं दे रही है। जनता कुछ समझ पाये, इससे पहले एक नया मुद्दा छा जाता है। जनता यहाँ से वहाँ,  वहाँ से वहाँ बस भाग रही है। आज एक मुद्दे  पर आंदोलन करते हैं, तो दो दिन बाद दूसरे मुद्दे पर धरना चल रहा होता है, फिर दो दिन बाद तीसरे मोर्चे को पुलिस सम्भाल रही होती है। इन सब में देश की शान्ती, और जनता का समय, दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।  ध्यान रहे, जब जनता थक जायेंगी और  पलटकर देखेगी, तो खुद को वहीं पर पायेगी, जहाँ से ये खेल शुरू हुआ था। बस कुछ साल बीत चुके होंगे। क्यों कि, अगर इन मुद्दों पर गौर करें तो  पाते हैं कि. ये नियम है जो लागू है। फिर इन बातों को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है। इन सब से किसका भला होने वाला है। ये देश हमारा है हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसको संभाल कर रखें। विरोध करना चाहिए, और होना भी चाहिए, सरकार पर दबाव भी बनाना चाहिये, पर हिंसा के लिए देश में कोई जगह नहीं है। हिंसा में हमारे अपने लोगों को, हमारे अपने देशवासियों को पीड़ा उठानी पड़ती है। तो यह दायित्व है कि देश में शान्ति और स्थ

एक रिश्ता और भी है

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एक रिश्ता और भी है । खुद से खुद का, आज बड़ी संख्या में महिलाएं पढाई- लिखाई, योग्यता तथा कार्यकुशलता का प्रयोग अपनी समृद्धि तथा आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए कर रहीं हैं, तो उनकी जिम्मेदारी है कि वो.... बिना किसी तनाव व कुंठाओं में घिरे भावनात्मक  स्मार्ट व सुदृढ़ बन कर अपनी सकारात्मक सोच व रचनात्मकताको निरंतर बढ़ाने की ओर अग्रसर रहें।।

शुभ-कामनाएं नए साल की⚘

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है ये शुभ-कामनाएं नए साल में💐 सुखी रहें, स्वस्थ रहें खुशियाँ मनाएँ नए साल में। आ गया एक नया दिवस. एक नई तारीख लिये। सूरज वही है चाँद वही, दिन और बार वही। आओ नया दिवस मनाएँ। कुछ छुट गया, नया भी मिल जायेगा। चलो हंसी खुशी से जश्न मनाएँ। तुम सेवैयाँ ले आओ. मैं हलवा पूरी लाता हूँ। बहुत हुईं खिचातानी, आओ मिलकर ईद और होली मनाएँ। कुछ तुम कहो कुछ हम कहें, यादें भी पीछे-पीछे चली आयेंगी। कहानी नई लिखी जायेंगी, किरदार में नये  होंगे। नई उमंग से नई सुबह का जश्न मनाएँ। हर किसी के मौजूदगी से. भर गया 19 का पन्ना। आओ 20 के खाली पन्ने का स्वागत करें। छोड़ विचारों की गठ्ठरी. बँध जाँयें भावना की डोर में। जीवन की कठिनाइयों में छिपे अवसरों का जश्न मनाएँ। सुख-दुःख  की ये धूप- छाँव में  आओ उम्मीदों का जश्न मनाएँ। सब मिलकर नव वर्ष मनाएँ। शुभ-कामनाएं नए साल की।।⚘💖