परिस्थिति
सच-झूठ की दौड़ लगी है, भूतकाल और वर्तमान में खेल परियोगिता चली है, तराजू अपना संतुलन खो बैठा है, उपदेशों का बाजार सजा है, मायूसी फिर सरक कर गले लग रही है, विचारों में महायुद्ध छिड़ा है, नकारात्मक की फौज विशाल है, सकारात्मक बिना हथियार के युद्ध में है, विश्वास दलदल के कुएँ में धसा है, मौन समाधि में लीन है, गूँज का बोलबाला है, बदलाव भी दमखम लगाये है, समय प्रतिक्षा कर रहा है, जब सकारात्मक.. विजय पताका लहराये.. मौन! समाधि से आँखें खोले.. हालात! नयी तस्वीर लिए.. भविष्य! नये भारत का स्वागत करे..!! जय भारत जय हिन्द⚘ # देवी