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परिस्थिति

सच-झूठ की दौड़ लगी है, भूतकाल और वर्तमान में खेल परियोगिता चली है, तराजू अपना संतुलन खो बैठा है, उपदेशों का बाजार सजा है, मायूसी फिर सरक कर गले लग रही है, विचारों में महायुद्ध  छिड़ा है, नकारात्मक की फौज विशाल है, सकारात्मक बिना हथियार के युद्ध में है, विश्वास दलदल के कुएँ में धसा है, मौन समाधि में लीन है, गूँज का बोलबाला है, बदलाव भी दमखम लगाये है, समय प्रतिक्षा कर रहा है, जब सकारात्मक.. विजय पताका लहराये.. मौन! समाधि से आँखें खोले.. हालात! नयी तस्वीर लिए.. भविष्य! नये भारत का स्वागत करे..!! जय भारत जय हिन्द⚘                      # देवी

अहसास

चलते चलते बहुत दूर आ गये तु मंजिल, हम राही बन गये, तेरे संग बिताये हर लम्हें मेरे गीत बन गये, तुम ख्वाब बनकर, मेरी जिंदगी बन गये,                             तुने जब भी मुड़कर देखा, मुझे सामने ही पाया। मैं जब भी तुझे देखती हूँ, खुद को बर्बाद ही पाया।।   मोहब्बत मेरी गजल बन गई  है, कलम की नोक पर आ गई है ।। शब्द मुझसे नाराज है, कैसे लिखूं..... सब आकर तेरे नाम पे बैठी है।। जिन्दगी के सबसे हसीन लम्हों को जी कर आयी हुँ। आज उनसे मिलकर आयी हुँ वो नजरें चुराते रहे दिनभर हम से और मैं उनको साँसों में भर लाई हुँ। दिल को समझाकर ..... तनहाई साथ ले आयी हुँ। ये कौन सी रीत निभायी मैंने कि खामोशी की चूनर ओढ़ ली हुँ। #आईना करनी हो शिकवे-शिकायत तो सामने आईना रख लेना, सामने बैठे उस चहरे से गुफ्तगू दो ,चार कर लेना, कुछ अपनी कहना कुछ उसकी सुन लेना, जीभर देख के उसे फिर जरा मुसकुरा देना, उससे थोड़ी जान-पहचान करते आना, जाते-जाते फिर मिलने का एक वादा कर आना, एक लम्बी साँस फिर माथा चूम लेना,                            #देवी