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आदिशक्ति मां

विश्व जननी अंबिका माँ, दिव्य का भंडार है भगवती के नाम सोलह, जप रहा संसार है।। प्राण भरती, प्यास हरती, सत्य का आधार है क्षीणता को दूर करती, शक्ति का संचार है।। आदिशक्ति अराधना से, शक्ति का संचय करो चेतना का जागरण हो, सत्य अनुसरण करो।। जागृत करो, निर्भय करो, कर्म निष्पादित करो निर्मल करो, सुन्दर करो, चित्त को विकसित करो।। सृष्टि सारी है तुम्हारी, साध्य को सम्मान दो  रंग भर दो तान भर दो, और हमको ज्ञान दो।। और मन में, और तन में, और मुझ में प्राण दो चरण में अपने शरण में, और मुझको स्थान दो।।