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करोना ये क्या किया

सुनो करोना ये क्या किया धरा को हरा भरा किया प्रकृति को साफ़ किया पर इंसानों की बस्ती में क्यों? है सब कुछ रुका रुका।। करोना तुमने ये क्या किया।। रंग-बिरंगे, छोटे और बड़े महलों से सड़कों तक किसी में ना कोई भेद किया मुँह बाँधकर सब को एक क्यू में  खड़ा किया।। करोना तुमने ये क्या किया।। मुँह पर मास्क लगाये बहादुरी वाले, सेवा वाले हिम्मत वाले, सुरक्षा वाले डर के मारे, जबर्दस्ती वाले सबके मुँह को बाँध दिया।। करोना तुमने ये क्या किया।। नीले, काले, हरे, पीले मैचींग और डिजाइन वाले सस्ते  और शाही वाले घर पर बने और फ्री वाले कुछ नहीं तो गमछा लपेट लिया।। सुनो करोना तुमने ये क्या किया।। दो गज दूरी, बहुत जरूरी मंत्र ये सबने सिखा करके घरों में बंद लोगों की जान ली बहुतों को बिमार किया।। करोना तुमने क्या नहीं किया।।  हम परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होंगे ये नामुमकि है। मैंन  करोना के बारे में  कुछ शब्द लिखे हैं,  येे सब  ना केे बराबर  है । इसमें  ये बात साफ है कि  मैं भी डरी हुई हूँ और चिंतित भी हूँ कि ये सब कब खत्म होगा, आगे क्या होगा, जब  ये सब खत्म हो जायेंगा, तो हम

विश्व पृथ्वी दिवस

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विश्व पृथ्वी दिवस    तेरी अम्मा, मेरी अम्मा, सबकी प्यारी-प्यारी अम्मा, कौन? धरती अम्मा! हम सबकी प्यारी अम्मा! सबकी प्यारी धरती अम्मा! सबको अन्न बराबर देती, शुद्ध हवा और पानी देती, सबको करती प्यार बराबर कौन? धरती अम्मा! हम सबकी प्यारी अम्मा! सबकी प्यारी धरती अम्मा!

माफी

 *माफी धरती माँ, माफी सृष्टि माँ के नियमों की अनदेखी के लिए।   *हे प्रकृति माँ आज आप को खुद अपनी नाराजगी को जता कर इंसानों को सम्भलने का संदेश दिया। कि कुछ भी हो सकता है। नामुमकिन कुछ भी नहीं होता है।   *माफी भारत के लोगों से, जो इस विपरीत परिस्थितियों में भुख और प्यास के कारण घर से बाहर निकालने को मजबूर हो गये और आज की दौड़ती भागती दुनिया में भी मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं।   *माफी नन्हे नन्हे कदमों से जो थक जाने के बाद भी चलते रहे।   *माफी उन लोगों से जो चले तो थे घर जाने के लिए, पर आधे सफर में ही किसी और दुनिया की शहर पे चले गये और घर वालों को कभी ना खत्म होने वाला इंतजार दे गये।    * मैं विकल्प चुन रही थी          मगर हिचक रही थी            क्यों कि मेरे पास               जमा थोड़ी सुविधाएँ थी                 जो मेरी  सीमाएँ थी.....🙏

दीया🕯

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  ये दीया देश के नाम  🕯    ये दीया 🕯  प्रकृति माँ से माफी के लिए। खूबसूरत धरती माँ के लिए। विशाल अमबर के लिए। सूरज, चाँद, तारों के लिए। जल, अग्नि, वायु के लिए।    ये दीया 🕯  जीवन देने वाले परमात्मा के लिए। जीवन देने वाले हर क्षण हर कण के लिए। अन्नपूर्णा माता के लिए।    ये दीया🕯  उन सभी को जो मानव सभ्यता को सुरक्षित तथा स्वस्थ करने के लिए  बिना अपनी जान की परवाह किए हर पल, हर क्षण, दिन रात कार्य में लगे हुए हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में भी वो पूरे हौसले के साथ लोगों की देखभाल कर रहें हैं उनकी जान बचाने वाले रक्षकों के लिए।   ये दीया 🕯  मेडिकल स्टाफ के लिए। पुलिस और सेनाओं के लिए। सफाई कर्मचारियों के लिए। NGO में काम करने वाले हर सदस्य के लिए। देश की मदद करने वाले बड़े, छोटे हर व्यक्ति के समर्थन के लिए।   ये दीया🕯   संयम रखे सब्र किये , अपनी और अपनों की फिक्रमंद इंसान के लिए। मानव पर छाए कोहरे के छटने के लिए । घरों में बंद कामगारों के लिए।   ये दीया 🕯  हर पल हर क्षण मुश्किलों का सामना कर हर परिस्थितियों से लड़कर प्रगति की ओर अग्रसर रहती मानवता के लि

भारत के लोग

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हमारे देश में दो हिंदुस्तान बसते हैं। एक, वो जो भव्य अट्टालिकाओं में रहता है, दूसरा वो जो गरीबी में अपना जीवन यापन करता है। शहर में कुछ भी अनहोनी होती है तो पहली गाज इसी गरीबी में रहने वाले वर्ग पर गिरती है।    अक्सर हम ये पंक्तियाँ कई बार किताबों में पढ़े हैं  और कई नाटकों में सुनते भी हैं, आज हमने देखा भी कि सच में आज भी हमारे देश में दो हिन्दुस्तान बसते हैं।   हर बार की तरह मैं आज भी बंद खिड़की से सबकुछ देख रही हूँ,  एक वायरस ने पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। दौड़ती भागती दुनिया अचानक रुक सी गई है। इसका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर हुआ है। ये वर्ग के पास ना पैसा है और वायरस की वजह से सारे काम ठप पड़े गये हैं। जिसके कारण इनके स एक वक्त का अन्न भी नहीं है। अब ये लोग पैदल ही अपने गाँव को लौटने के लिए, हजारों मील चलने को मजबूर हो गये हैं। हम अक्सर कहते हैं कि हम सब एक हैं पर सच तो ठीक उलटा है जो आज साफ साफ नजर आ रहा है ,      आज मुझे मेरी औकात का पता चला, कि मैं घर पर बैठकर खाना खाने के सिवा कुछ नहीं कर सकतीं हूँ।आज ये जिन्दगी गुनाह सी लग रही है।😔 मैं

परीक्षा की घड़ी

#सच्चाई और अच्छाई से आप लोगों का दिल जीत सकते हैं, दुश्मन के मन में प्रेम के बीज बो सकते हैं। लोगों का नेतृत्व करती है। #अच्छाई और सच्चाई के रास्ते पर चलकर शायद शासन नहीं किया जाता है। अगर ऐसा होता तो गाँधी जी कुछ और साल हमारे पास रहते। बापू की अच्छाई और सच्चाई ने उन्हें हम सब से दूर कर दिया। #यहाँ हर कोई अपना काम कर रहा है। #एक चित्रकार, चित्र ही तो बनायेगा। #राजनेता, राजनीति ही करेंगे, इसमें बुराई क्या है, वह अपना काम बखूबी कर रहे हैं। बस देखना होगा इन विपरीत परिस्थितियों में कौन कितना सक्षम होता है अपने कार्य में। #यह परीक्षा की घड़ी है कि समय पर पकड़ बनाये रखने की क्षमता किसके नेतृत्व में है। अभी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है, कि इस समय  क्या-क्या हथकंडे अपनाये जाते हैं और जनता के दिल में कितना विश्वास जगा पाते हैं। ये तो शासक की रणनीति ही तय करेगी कि, इस तूफान में कौन स्थिर रहेगा और कौन बह जायेंगा। ये तूफान के थमने के बाद ही पता चलेगी। #अभी जनता घरों में बैठी है और आप आसानी से आज के युग में जनता को अपनी मौजूदगी का अहसास कराते सकते हैं। पर जनता और भी बहुत कुछ, देख भी रही है