दिल मेरी सुनता ही नहीं!

तुझ बिन अधूरी है ख्वाहिशें
तुमसे मिलने कि है साजिशें 
अब दिल मुझे मिलता ही नहीं
कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।।

तेरा आने का वादा है
तुझसे मिलने का इरादा है
ये दिल तुझे भुलता ही नहीं
कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।।

खो जाए तेरी यादों में
ढुँढता है तुझको गलियों में
ये दिल अब लौटता ही नही
कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।।

सपने आंखों में सजाये
कितने नगमे गुनगुनाये
सहम कर कुछ कहता ही नहीं
कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।।

कितनी सदियां यूं बीत गयी
बरसों तेरी खबर न आयी
ये दिल अब धड़कता ही नही
कि दिल मेरी सुनता ही नहीं ।।

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