संदेश

2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरा देश

       अतित में हर बात पे जाना ठीक नहीं हैं, तब हम नहीं थे. अब हम हो, तो आज को बेहतर बनाओ और आने वाले कल के लिए हम मिसाल कायम करें। कल क्या हुआ क्यों हुआ? छोड़ो! आज क्या कर सकते हैं और कल के लिए क्या बेहतर फैसले ले सकते हैं। @आज बात देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की होनी चाहिये।  हिन्दूस्तान तो बना ही है जनजन के सहयोग से, समर्पण से। जब सब धर्म,जाति, वर्ग को भुलकर सिर्फ देश के लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए उठ खड़े हुए थे, तो दो सौ साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फैंका था। आज भी हम मिलकर सबसे पहले देश के बारे में सोचना चाहिए। देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी, हिस्सेदारी के प्रति जागरूक होना होगा और जनजन को जागरूक करने की कसम खा सकते हैं। हम दिनभर में एक बार अपने आने वाली पीढ़ी के प्रति जिम्मेदारी निभाने की सौगंध खा सकते हैं बिना स्वार्थ के अपनी हिस्सेदारी जरूर दें।।

बहस

किसी भी विवाद के बहस में पड़ने  से सबसे पहले खुद बचना चाहिए । मुद्दों पर बात करना अच्छी बात है पर उससे बहस ना बनने दें, अगर बहस हो गयी तो उसे वहीं खत्म कर, किसी और विषय पर बात शुरू कर दें। या चाय , पानी का आॅफर करें,और फिर बाकी बात कल करने को कहें। उनको महसूस ना होने दें कि जिस विषय पर बात हो रही थी वो बहस बन गई और उससे खत्म किया जा रहा है। क्यों कि बहस करते वक्त सभी का अहम् सामने खड़ा होता है। अगर किसी के अहम् को चोट पहुँचेगी तो ये खतरनाक स्थिति पर पहुंचने का खतरा रहता है क्यों कि अगली बार वो बहस नहीं लड़ाई पर उतर आते हैं। मेरा मानना है कि बहस एक गंदा दलदल है जिसमें किसी को कुछ नहीं मिलने वाला है। उसमें किसी को भी जीत नहीं मिल सकती है । इसलिए जहाँ तक हो सके बहस से बचने की हर मुमकिन कोशिश करें। 🙏💐

दोस्ती

''दोस्ती तुम मेरी जिंदगी सी हो जिन्दगी में इन्द्रधनुष सी हो थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी सी हो जरा सच्ची तो जरा झुठी सी हो तुम से मिलें, तो जाना जिन्दगी को तुम मेरी मोहब्बत पहली सी हो''            ⚘

चुनाव

सुने हो! गाँव में आयो ''चौंकीदार"। बोलके  म्हारी बोली कह गयो मन की बात । ना देखे खाली गाँव ना पूछो किसी को हाल। शब्दों के चलाके बाण दिल जीत गयो ''सुबेदार"                    (पी एम जी का उत्तराखंड दौरा 2019 महाराणी आयो म्हारो खेत बैठ के उड़नखटोले मा।। हाथ दराती सैंडल पैर मा।। पहन विदेशी साड़ी करण लागी खेत की बाताँ।। छाटंन लागी फसल भरी दोपहरिया मा।। फिर आवेगी ये बात रख गयी हाथ मा।। जाते जावे कह गयी तुम भी देना साथ वोट मा।। मैं खेतियारन कहदीनी फिर आणा म्हारो खेत पाँचवे साल मा।। घणी प्यारी लागे जैसे कोई अफसरा भू-लोक मा।। जो भी होवे बड़ो सोणो लागे महाराणी को साथ मा ।।              (हेमा जी का आगरा दौरा2019 चुनाव)                             #देवी

तुम चाय पे ना बुलाते

हवाएं घटाएं हमें ना सताते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते। तुम्हें देख नजरें चुराना, छुपाना, अदाएं, सलीके, शरारत, बहाना, हमारी अदाएं हमें ना सताते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते चुड़ी बिंदि झुमके, नयन के इशारे, सुबह-शाम, सूरत बदलते नजारे, समा खूबसूरत हमें ना सुहाते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते। मगन मन मधुर मधुर संगीत गाएं, पुलक हृदय में प्रेम लहर लहराएं, कहानी, तुम्हारी हमें ना सुनाते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।  कभी बेवजह यूं न हम मुस्कुराते, समय को कभी हम न ऐसे चुराते। अगर बात दिल की हमें ना बताते, अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।                                                    # देवी

बदरिया

ओ मेघा काहे तू रूठे सूरज क्यों आँख दिखावे धरती को काहे सतावे बरखा  काहे खेले  आँख-मिचोली यूँ गरज-गरज के चमक-चमक के तू काहे इतना चिढ़ावे प्यासा चातक तुझे बुलावे कोयलिया  भी गीत सुनावे पपीहा भी खुब रिझावे अब तो बरसो रे बदरिया काहे दिखावे तू नखरिया नैना म्हारे तरसो अब तो मेघा बरसो   ।।                                  # देवी

हमारी राजनीति

   अंग्रेज आये हिन्दू-मुसलमान को आपस में लड़ाकर सालों तक राज किया, आजादी के समय भी आपस में लड़ाकर देश का विभाजन कर दियाऔर जाते-जाते हिन्दू-मुसलमान की राजनीति सिखा गये।जो आज तक कायम है। देश के मुद्दे को छोड़ कर चीन-पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात करते है। सभी जानते है सीमाओं की रक्षा करने के लिए सेनायें हरदम तैयार रहती हैं। हमको पूरा भरोसा है कि देश सुरक्षित हैं। फिर भी नेता देश के बात छोड़ कर हिन्दू-मुसलमान, चीन-पाकिस्तान और राष्ट्रवाद पर भाषण देते हैं और चुनाव में वोट देने की अपील करते हैं। 70साल के बाद भी  देश में बहुत सारी परेशानियाँ है, चाहे  पीने का पानी हो,  शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधायें और भी कई परिस्थितियाँ है जो आज भी एक वर्ग तक नहीं पहुँच पातीं है। देश में आज भी आर्थिक तंगी है जिसे सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।  चुनाव देश के मुद्दों पर हो। ना की बातों और वादों पर, जिस भी पार्टी को मौका मिले वो देश को एक कदम आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हो। देश सर्वप्रथम है।    जय हिन्द जय भारत ⚘                                                                            #देवी

मेरे अल्फ़ाज़

  मैं मीरा देवी (देवी)        कठिन होता है खुद को पहचानना खुद की तलाश करना,खुद से मिलना, खुद से लड़ना,        जीवन की महानता खुद अपना मालिक बनने में है।        सबसे कठिन है अपने आप को पहचानना, हमें  अपने आप को पहचानने, अपने सामर्थ्य को जानना, अपनी क्षमताओं को आंकने और अपनी  सीमायें तक पहुंचने की अपनी  काब्लियत को जानने, ढूंढने और परखने की जरूरत है ।     अपनी संस्कृति और सभ्यता को समझने तथा  हजारों वर्षो से चली आ रही और अन्नत काल तक चलने वाली भारत भूमि के हर रूप हर रंग, यहाँ की '' अनेकता में एकता ''  के रहस्य और चमत्कार से जुड़ने और समझने के सफर पर हुँ,        जिन्दगी के कुछ बाकी पल जीने, कुछ अनुभव करने तो कुछ सबक सिखने के सफर पर हुँ।        यहाँ सब के अपने कुछ कायदे-कानून है जिन्दगी, दिल, दिमाग और किस्मत के उन सुलझे और अनसुलझे पहलूओं को समझने के सफर पर हुँ।     #जिंन्दगी के अपने ही नखरे है अपना कानून और अपने नियम है, यहाँ हम सिर्फ दलील कर सकते हैं फैसला लेने का हक सिर्फ जिन्दगी को है, यहाँ पहले से ही सब कुछ तय होता है। हम तो खिलौने होते है इसके, फिर भी... जिन्द

होली

लाल ना हरा रंग मोहे भाये प्रेम रंग मोहे रंग दे तु अपने ही रंग में साँवरिया, धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया तू रंग जा!हाँ तू रंग जा पिया मोरि कोरी कोरी चुनरिया, कोरे-कोरे कलश में मिलाये रंग केशरिया होरी खेलन आयौ रे श्याम रंग-बिरेंगी हुई गयी आज बदरिया,   भर पिचकारी ऐसी मारी कि भीज गई राधा प्यारी हो हँस-हँस राधा संग... होरी खेले गिरधारी, गोपियों संग होरी खेले रे रशिया कि होली खेले रे साँवरिया।। होली है.........                          # देवी

प्रीत

वंसत को ऋतू राज माना जाता हैं इन दिनों मुख्य पाँच तत्व (जल, वायु, आकाश, अग्नि एवम धरती ) संतुलित अवस्था में होते हैं और इनका ऐसा व्यवहार प्रकृति को सुंदर एवम मन मोहक बनाता हैं अर्थात इन दिनों पतझड़ खत्म होते ही पेड़ों पर नयी शाखायें जन्म लेती हैं, जो प्राकृतिक सुन्दरता को और अधिक मनमोहक कर देती हैं। उन नयी शाखाओं की नन्ही कली और पत्तियों को देखकर मन में कई भाव उमड़ते है। इन नन्ही कोमल पत्तियों को छूने मात्र से मूरझाने का भय, मन को  व्याकुल कर जाता है। उनकी कोमलता, उनका सौन्दर्य देखते बनता है।     ठीक वैसे ही जब प्रेमी आपस में मिलते है उनके मन में भी कई नयी और कोमल, भाव,विचार प्रकट होते है, यहाँ तक की उनका व्यवहार बहुत सरल और सहज होता है। दोनों के बीच का संतुलन एक दूसरे को उनकी क्षमताओं और सीमाओं से कहीं ऊपर उठा देता है, दोनों एक दूसरे के प्रति समर्पित रहते है। एक अदभूत अनुभव में खो जाते है। जो जीवन को उमंग से भर देता है और मन के तार को छेड़ता है समंदर की लहरों की भांति छलक उठता है प्रेम,     ''प्रेम को पढ़ना है तो प्रेम में डूबना पड़ेगा प

परिस्थिति

सच-झूठ की दौड़ लगी है, भूतकाल और वर्तमान में खेल परियोगिता चली है, तराजू अपना संतुलन खो बैठा है, उपदेशों का बाजार सजा है, मायूसी फिर सरक कर गले लग रही है, विचारों में महायुद्ध  छिड़ा है, नकारात्मक की फौज विशाल है, सकारात्मक बिना हथियार के युद्ध में है, विश्वास दलदल के कुएँ में धसा है, मौन समाधि में लीन है, गूँज का बोलबाला है, बदलाव भी दमखम लगाये है, समय प्रतिक्षा कर रहा है, जब सकारात्मक.. विजय पताका लहराये.. मौन! समाधि से आँखें खोले.. हालात! नयी तस्वीर लिए.. भविष्य! नये भारत का स्वागत करे..!! जय भारत जय हिन्द⚘                      # देवी

अहसास

चलते चलते बहुत दूर आ गये तु मंजिल, हम राही बन गये, तेरे संग बिताये हर लम्हें मेरे गीत बन गये, तुम ख्वाब बनकर, मेरी जिंदगी बन गये,                             तुने जब भी मुड़कर देखा, मुझे सामने ही पाया। मैं जब भी तुझे देखती हूँ, खुद को बर्बाद ही पाया।।   मोहब्बत मेरी गजल बन गई  है, कलम की नोक पर आ गई है ।। शब्द मुझसे नाराज है, कैसे लिखूं..... सब आकर तेरे नाम पे बैठी है।। जिन्दगी के सबसे हसीन लम्हों को जी कर आयी हुँ। आज उनसे मिलकर आयी हुँ वो नजरें चुराते रहे दिनभर हम से और मैं उनको साँसों में भर लाई हुँ। दिल को समझाकर ..... तनहाई साथ ले आयी हुँ। ये कौन सी रीत निभायी मैंने कि खामोशी की चूनर ओढ़ ली हुँ। #आईना करनी हो शिकवे-शिकायत तो सामने आईना रख लेना, सामने बैठे उस चहरे से गुफ्तगू दो ,चार कर लेना, कुछ अपनी कहना कुछ उसकी सुन लेना, जीभर देख के उसे फिर जरा मुसकुरा देना, उससे थोड़ी जान-पहचान करते आना, जाते-जाते फिर मिलने का एक वादा कर आना, एक लम्बी साँस फिर माथा चूम लेना,                            #देवी

बदलती राजनीति

''बदलते राजनीति से मेरी कलम भी मज़बूर हुईं।।   ना  चाहते हुए भी मेरे विचारों में शामिल हुई''।।   राजनीति बदल रही है..   हर आँख में मटक रही है..   सपने सिंहासन के दिखा रही है।   सच झुठ की खिचड़ी में..   मसालों  का मुआयना कर रही है।   राजनीति बदल रही है।   हर कोई शामिल है   जीत की दौड़ में,   सम्भलो ए सिंहासन के महारथी   तुम्हारी हर चाल पे नजर रखी है।   राजनीति बदल रही है।   बदलाव की तस्वीर लिए   गली, मोहल्ले घूम रही है।   खेल ना खेलो तुम.   ये भारत की राजनीति है।   तेरे हर वादे का हिसाब रखती है।   राजनीति बदल रही है।   छोड़ पूरानी रित...   नये पैंतरे अपना रही है।   आकर चुनावी अखाड़े में   तुझे आज़मा रही है।   लोकतंत्र की नींव पर   राजतिलक कर रही है।   राजनीति बदल रही है।   हर आँखें में मटक रही है।                                      # देवी

कुंभ दर्शन

कुंभ कुंभ ये है. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ . कुंम्म्मभ। संगम तट पर प्रयागराज में, ये है कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंम्म्मभ। श्रिवेणी में शाही स्नान. देखता पूरा ब्रह्मांड, अदभूत नज़ारे. भस्म रमाये, भक्तों का ये भव्य रूप. देख भगवन अमृत बरसाए, हर हर महादेव ...... ये है भक्तों का... कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंम्म्मभ। ध्वजा, पालकी, ढोल़, नगाड़े, अस्त्र- शस्त्र. और ज़यज़यकारे, भक्ति भाव की छटा बिख़ेर . त्रिवेणी के घाट पे, हर हर महादेव........ ये है साधु- संतों का... कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंम्म्मभ। गंगा,यमुना और सरस्वती में . आस्था की ढुबकी लगाने , चले आए आदिकाल से. कल्पवास में. आध्यात्मिक पर्व मनाने, धरती पे ये भव्य नजाऱे. विभिन्नता में एकता के, हर हर महादेव.......  ये है मानवता का... कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंम्म्मभ। भारत दर्शन. जीव़न दर्शन . ये है ब्रह्मांड दर्शन, कह़ी नहीं. ये है कुंभ दर्शन. ये कुंभ दर्शन है. भारत दर्शन, हर हर महा

कुंभ

त्रिवेणी, माधव, आलोक, शंकरी, श्री पढ़े हनुमान जी। मैं नागवस की नवग्रह मंदिर, प्रिय भूमि श्री राम की । मैं भजन हुंँ मंदिरों की, भक्तों की पूकार हुँँ। श्रिवेणी के तट पर शोभित, मैं तीर्थों में तीर्थराज हुँ। मैं पावन प्रयाग हुँ मैं पावन प्रयाग हुँ।                                                          ''देवी''

पगडन्डी

माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, मुझे जीवन का मतलब बतला दो, कहती हो मेरे जिगर का टुकड़ा हो पापा की लाडली हो फिर पराये धन का मतलब समझा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, एक नह़ि दो घरों की रोशनी हूँ कहती हो इस जहाँ कि रचियता हो फिर च़िराग का मतलब समझा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, बेटी,बहना,बहु,दादी,नानी,माँ जाने कितने नाम ह़ै माँ बस मुझे मेरे नाम से अवगत् करा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, पंखों से नही हौसलोँ से उड़ती हूँ, एक पल में दुनिया जीत लेने का जज्ब़ा रखती हूँ, हा माँ मुझे फिर घुघ़ट का अर्थ समझा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो , गिरने से पहले सम्भंला सिखा दो, मुझे मुझ से मुखाँतिब करा दो, मेरी खुद से जान पहचान करा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो , मुझे जीवन का मतलब बतला दो , माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो ,                                                #देवी