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गिद्ध

आसमान में उड़ने वाले गिद्ध सांसों के थमने का इंतजार तो करते हैं। ये जो जमीन पर झपट्टने वाले गिद्ध हैं ना, इनके बारे में कुछ कहने से पहले शब्द भी दम तोड़ देते हैं। इनकी पकड़ लकड़बग्घे के झपट से भी मजबूत है, शिकार के मिलते ही नोचना शुरू करते हैं। सांसों के रहते ही, बोटी बोटी नोचते हैं। यह सिलसिला पंचतत्व में विलीन होने के बाद भी जारी रखते हैं। किसी की सांसें अब भी बच गई हो तो, गिद्ध कहते हैं। खुश रहो तुम जिंदा हो, सवाल पूछने का हक तो मरे हुए को भी नहीं देते हैं। क्योंकि… गलती तुम दोनों की है।

हमसफर

हमसफर मेरे हमसफर साथ तेरा यूँ ही उम्र भर।। तू आकाश नीला मैं चंचल सी हवा, तू बदरा पिया मैं प्यासी धरा। यूँ ही साथ रहें हम उम्र भर। हमसफर मेरे हमसफर।। तुम बाग का हर रंग मैं तितली बेरंग, मेरे सनम तेरे संग जीवन का हर रंग। इन्द्रधनुषी हो गई डगर। हमसफर मेरे हमसफर।। मैं ओश की बूूँद तुम सूर्य तारा, मैं जुगनू तुम अंधियारा, मैं जल की धारा तुम हो किनारा। बहती रहूँ यूँ ही बेखबर। हमसफर मेरे हमसफर।। साथ तेरा यूँ ही उम्र भर।।