प्रेम नगर अति साँकरी!
प्रेम नगर अति साँकरी, कौन चित्त समझाय जा बैठा चौराह पर, मुझको भी भरमाय।। सावन साजन बिन हिया,जैसे नीरव डाल पिया बिना जीवन भया, कुरकुस की हो छाल।। साजन आए भोर में, बनके पंक्षी भोर मन आँगन की वेदना, साँझ भई चहुँ ओर।। साँझ भई चहुँ ओर री,साजन बसे प्रदेश प्रेम छुड़ाए न छूटे, कौन कहें संदेश।। न लिखत न पढ़त जाय है, न भई कोई रीत किस विधि करूँ बखान री, प्रीत भई बस प्रीत।। #मीरा देवी