संदेश

प्रेम नगर अति साँकरी!

प्रेम नगर अति साँकरी, कौन चित्त समझाय जा बैठा चौराह पर, मुझको भी भरमाय।। सावन साजन बिन हिया,जैसे नीरव डाल पिया बिना जीवन भया, कुरकुस की हो छाल।। साजन आए भोर में, बनके पंक्षी भोर मन आँगन की वेदना, साँझ भई चहुँ ओर।।  साँझ भई चहुँ ओर री,साजन बसे प्रदेश प्रेम छुड़ाए न छूटे, कौन कहें संदेश।। न लिखत न पढ़त जाय है, न भई कोई रीत किस विधि करूँ बखान री, प्रीत भई बस प्रीत।। #मीरा देवी 

सागर

धरती पर फैला हुआ, जलचर का संसार। सागर के  भीतर छिपा,  रत्नों का भंडार।। जब तृष्णा न बुझा सके, पानी चारों ओर। ये खारी नीर लहरें, तट पर करती शोर।। बूंदों से सागर बना, सागर बादल होय। धरती से दूर हो के, बूंदें बनके रोय।। दिन-रात तटों पर रहता, लहरों का अनुरोध। साहिल करती मौन से, तरंग का प्रतिरोध।। सागर उठा उमंग से,  पूनम वाली रात।   उतरा चांद लहरों में, कहने अपनी बात।। इतना विशाल हृदय है, सब करता स्वीकार। धरती के हर वस्तु पर, करता है उपकार

समय का पहिया

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मत गंवा आज को सपनों में, कल रहता आज के कर्मों में, समय का पहिया चलता रहता कहता एक ही बात निरंतर। अरे! चलते रहना जीवन भर! अच्छा-बुरा कुछ भी ना जाने, ऊॅंच नीच का भेद ना माने, तेरे जतन कुछ काम न आवे देखता रह जाएगा उम्रभर। अरे! चलते रहना जीवन भर! बरसात ऋतु से पहले किसान, युद्ध होने से पहले जवान, हार जीत का फैसला होगा हमारी आज की तैयारी पर। अरे! चलते रहना जीवन भर! पशु पक्षी के लिए सिर्फ जीवन, दिन-रात के जैसा मानव मन, कर्म से समय की सीमा तोड़ इतिहास की बोगी में बैठकर। अरे! चलते रहना जीवन भर!

तिरंगा

दिल्ली में  दहाड़े  तिरंगा,  सरहद  पर  महाकाल है। वीरों की  सौगात  तिरंगा,  इंकलाब  की  मशाल है। सनसन करते  हूंकार भरे,   जब वीरों के कदम बढ़े दुश्मन के दिल  छन्नी करते,  हिन्दुस्तान का लाल है। धर्म-जाति की राजनीति से,  जो चले देश को तोलने मात्रभूमि पर  मिटने  वाला,   देशभक्ति रंग  लाल है। सत्य अहिंसा और प्रेम का, रखवाला अजब-गजब है प्रत्यंचा   चढ़ा  गाण्डीव है,   प्रेम-पूरक  की  थाल  है। साजन के आँखों से गहरा, शीतल माँ के आँचल से वो लाल किले पर फहराता, रंगों का इंद्रजाल है।

रोशनी की कुंजी

विश्वास रोशनी की कूंजी है  आशाओं का पासवर्ड है  युद्ध चल रहा है हर वीर लड़ रहे हैं  माना कुछ चेहरे तारे बने हैं  कुछ नाम गुम हो गए हैं  हिम्मत और हौसले की कहानी है उम्मीद। ये युद्ध भी हो जायेंगा किताबी  जीत भी होगी नवाबी ये मायुसी और उदासी बीते दिनों की बात होगी। प्रकृति इमतहान ले रही है  शायद पाठ कोई समझा रही है। हम इसी की ही रचना है  जरा धर्य रखो शायद अपनी ही रचना में  सुधार कोई कर रही है।

दिल का दरवाजा

दिल का दरवाजा  खोलना हमारे बस में नहीं है, चाहे दरवाजे पर भगवान ही क्यों ना खड़े है। हमें पता नहीं होता ये कब और किसके लिए खुलेगा और क्यों । बड़ा अजीब होता है ये दिल का दरवाजा, ना सटल ना किवाड़  ना अकल की सुनता है । चाहे जितना जोर लगाओ ये नहीं खुलता है और जब बन्द करना होता है तो भी नहीं सुनता है।

आदिशक्ति मां

विश्व जननी अंबिका माँ, दिव्य का भंडार है भगवती के नाम सोलह, जप रहा संसार है।। प्राण भरती, प्यास हरती, सत्य का आधार है क्षीणता को दूर करती, शक्ति का संचार है।। आदिशक्ति अराधना से, शक्ति का संचय करो चेतना का जागरण हो, सत्य अनुसरण करो।। जागृत करो, निर्भय करो, कर्म निष्पादित करो निर्मल करो, सुन्दर करो, चित्त को विकसित करो।। सृष्टि सारी है तुम्हारी, साध्य को सम्मान दो  रंग भर दो तान भर दो, और हमको ज्ञान दो।। और मन में, और तन में, और मुझ में प्राण दो चरण में अपने शरण में, और मुझको स्थान दो।।