तिरंगा

दिल्ली में  दहाड़े  तिरंगा,  सरहद  पर  महाकाल है।
वीरों की  सौगात  तिरंगा,  इंकलाब  की  मशाल है।
सनसन करते  हूंकार भरे,   जब वीरों के कदम बढ़े
दुश्मन के दिल  छन्नी करते,  हिन्दुस्तान का लाल है।
धर्म-जाति की राजनीति से,  जो चले देश को तोलने
मात्रभूमि पर  मिटने  वाला,   देशभक्ति रंग  लाल है।
सत्य अहिंसा और प्रेम का, रखवाला अजब-गजब है
प्रत्यंचा   चढ़ा  गाण्डीव है,   प्रेम-पूरक  की  थाल  है।
साजन के आँखों से गहरा, शीतल माँ के आँचल से
वो लाल किले पर फहराता, रंगों का इंद्रजाल है।

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