संदेश

''मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में,,

अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता / '' मनाली मत जइयो ,, से प्रेरित होकर लिखी गयी है। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। सुनो सिया, बनवास से पहले, मिल आना लक्ष्मी जीजी से, फिर आवेंगे लूटेरे पंचवटी में। धरोगी पाँव जो देहरी पे, ले जाना सीख शूटर दादी से, ना आवेंगे रक्षक अंधेर नगरी में। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। तुम चीखेगी, चिल्लाएगी, पर वो मुँह ना खोलेगी, खामोशी रहेगी शेरनी संसद में। बुलंद जो आवाज करोगी, देशद्रोही कहलाओगी, जला दी जाओगी लोकतंत्र में। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। (लक्ष्मी जीजी-राजस्थान की रहने वाली) (शूटर दादी- उत्तरप्रदेश की रहने वाली) 

🇮🇳 सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा 🇮🇳

चित्र
जब भी किसी देश की तरफ देखती हूँ तो सुकून अपने देश को देख कर ही मिलता है, और जो खुशी यहाँ कि सभ्यता और संस्कृति को जानने में मिलती है वह कहीं और ना मिला, भारत जैसा देश कहीं और नहीं है यहाँ तक कि भारत का एक अंश भी कहीं नहीं पढ़ पाती हूँ। मैं किसी और देश तो नहीं गयी पर कभी-कभी गुगल के द्वारा जानने की कोशिश करती हूँ तो कुछ नया मिला ही नहीं। जब भारत को पढ़ने लगती हूँ, तो हर पन्ने में सबकुछ नया होता है। इसलिए माफ कीजिए भारत के सिवा कुछ और पढ़ ही नही पाती हूँ। भारत का इतिहास कितना गौरवशाली है। महान लोगों की गाथा, वीरों की कुर्बानी ये सब पढ़कर मन गगदद हो जाता है।देश के बारे में बताने लगी तो मेरा समय खत्म हो जायेगा पर देश की बातें नही।  🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 💖  

मुद्दा राजनीति का

#देश जल रहा है राजघाट पर कोई रो रहा है  #देश की राजनीति, देश की जनता को कुछ सोचने ही नहीं दे रही है। जनता कुछ समझ पाये, इससे पहले एक नया मुद्दा छा जाता है। जनता यहाँ से वहाँ,  वहाँ से वहाँ बस भाग रही है। आज एक मुद्दे  पर आंदोलन करते हैं, तो दो दिन बाद दूसरे मुद्दे पर धरना चल रहा होता है, फिर दो दिन बाद तीसरे मोर्चे को पुलिस सम्भाल रही होती है। इन सब में देश की शान्ती, और जनता का समय, दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।  ध्यान रहे, जब जनता थक जायेंगी और  पलटकर देखेगी, तो खुद को वहीं पर पायेगी, जहाँ से ये खेल शुरू हुआ था। बस कुछ साल बीत चुके होंगे। क्यों कि, अगर इन मुद्दों पर गौर करें तो  पाते हैं कि. ये नियम है जो लागू है। फिर इन बातों को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है। इन सब से किसका भला होने वाला है। ये देश हमारा है हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसको संभाल कर रखें। विरोध करना चाहिए, और होना भी चाहिए, सरकार पर दबाव भी बनाना चाहिये, पर हिंसा के लिए देश में कोई जगह नहीं है। हिंसा में हमारे अपने लोगों को, हमारे अपने देशवासियों को पीड़ा उठानी पड़ती है। तो यह दायित्व है कि देश में शान्ति और स्थ

एक रिश्ता और भी है

चित्र
एक रिश्ता और भी है । खुद से खुद का, आज बड़ी संख्या में महिलाएं पढाई- लिखाई, योग्यता तथा कार्यकुशलता का प्रयोग अपनी समृद्धि तथा आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए कर रहीं हैं, तो उनकी जिम्मेदारी है कि वो.... बिना किसी तनाव व कुंठाओं में घिरे भावनात्मक  स्मार्ट व सुदृढ़ बन कर अपनी सकारात्मक सोच व रचनात्मकताको निरंतर बढ़ाने की ओर अग्रसर रहें।।

शुभ-कामनाएं नए साल की⚘

चित्र
है ये शुभ-कामनाएं नए साल में💐 सुखी रहें, स्वस्थ रहें खुशियाँ मनाएँ नए साल में। आ गया एक नया दिवस. एक नई तारीख लिये। सूरज वही है चाँद वही, दिन और बार वही। आओ नया दिवस मनाएँ। कुछ छुट गया, नया भी मिल जायेगा। चलो हंसी खुशी से जश्न मनाएँ। तुम सेवैयाँ ले आओ. मैं हलवा पूरी लाता हूँ। बहुत हुईं खिचातानी, आओ मिलकर ईद और होली मनाएँ। कुछ तुम कहो कुछ हम कहें, यादें भी पीछे-पीछे चली आयेंगी। कहानी नई लिखी जायेंगी, किरदार में नये  होंगे। नई उमंग से नई सुबह का जश्न मनाएँ। हर किसी के मौजूदगी से. भर गया 19 का पन्ना। आओ 20 के खाली पन्ने का स्वागत करें। छोड़ विचारों की गठ्ठरी. बँध जाँयें भावना की डोर में। जीवन की कठिनाइयों में छिपे अवसरों का जश्न मनाएँ। सुख-दुःख  की ये धूप- छाँव में  आओ उम्मीदों का जश्न मनाएँ। सब मिलकर नव वर्ष मनाएँ। शुभ-कामनाएं नए साल की।।⚘💖

मेरा देश

       अतित में हर बात पे जाना ठीक नहीं हैं, तब हम नहीं थे. अब हम हो, तो आज को बेहतर बनाओ और आने वाले कल के लिए हम मिसाल कायम करें। कल क्या हुआ क्यों हुआ? छोड़ो! आज क्या कर सकते हैं और कल के लिए क्या बेहतर फैसले ले सकते हैं। @आज बात देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की होनी चाहिये।  हिन्दूस्तान तो बना ही है जनजन के सहयोग से, समर्पण से। जब सब धर्म,जाति, वर्ग को भुलकर सिर्फ देश के लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए उठ खड़े हुए थे, तो दो सौ साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फैंका था। आज भी हम मिलकर सबसे पहले देश के बारे में सोचना चाहिए। देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी, हिस्सेदारी के प्रति जागरूक होना होगा और जनजन को जागरूक करने की कसम खा सकते हैं। हम दिनभर में एक बार अपने आने वाली पीढ़ी के प्रति जिम्मेदारी निभाने की सौगंध खा सकते हैं बिना स्वार्थ के अपनी हिस्सेदारी जरूर दें।।

बहस

किसी भी विवाद के बहस में पड़ने  से सबसे पहले खुद बचना चाहिए । मुद्दों पर बात करना अच्छी बात है पर उससे बहस ना बनने दें, अगर बहस हो गयी तो उसे वहीं खत्म कर, किसी और विषय पर बात शुरू कर दें। या चाय , पानी का आॅफर करें,और फिर बाकी बात कल करने को कहें। उनको महसूस ना होने दें कि जिस विषय पर बात हो रही थी वो बहस बन गई और उससे खत्म किया जा रहा है। क्यों कि बहस करते वक्त सभी का अहम् सामने खड़ा होता है। अगर किसी के अहम् को चोट पहुँचेगी तो ये खतरनाक स्थिति पर पहुंचने का खतरा रहता है क्यों कि अगली बार वो बहस नहीं लड़ाई पर उतर आते हैं। मेरा मानना है कि बहस एक गंदा दलदल है जिसमें किसी को कुछ नहीं मिलने वाला है। उसमें किसी को भी जीत नहीं मिल सकती है । इसलिए जहाँ तक हो सके बहस से बचने की हर मुमकिन कोशिश करें। 🙏💐