सरस्वती माँ शारदे, शत् शत् कोटि प्रणाम। विराजो मन मंदिर में, सिद्ध करो शुभ काम।। हे माँ ब्रह्मस्वरूपा, हे माँ वेद पुराण। वीणा पुस्तक धारिणी, सबका हो कल्याण।। हे माँ ज्ञान स्वरूपिणी, हे ब्रह्मा का ज्ञान। बल बुद्धि और ज्ञान का, हमको दो वरदान।। हे माँ विद्या दायिनी, दूर करो अज्ञान। भक्तजनों को दीजिए, विद्या का वरदान।। सृष्टि के हर कण कण में, वीणा का अनुराग। माँ के दर्शन मात्र से, जागे सबसे भाग।। हंसवाहिनी माँत की, महिमा अपरम्पार। मधुर नाद भर शून्य में, करती है उद्धार।। जननी स्वर लय ताल की, ज्ञान भरा भंडार। ज्ञान की ज्योति से हरो, हृदय का अंधकार।। सात सुरों के ताल पर, झूम रहा संसार। तीन लोक में हो रही, माँ की जय जयकार।। वीणा के मधुर नाद से, बह रही सरस तान। नव जीवन नव सृजन में, भर दो सरगम गान।। सद्गुण वैभव शालिनी, रहे सत्य का ज्ञान। निर्मल कोमल सभ्य हो, मन हो निष्ठावान।। हे माँ वीणा वादिनी, ऐसा दो वरदान। साधना को शक्ति मिले, और मिले पहचान।। शरणागत रक्षा करो, पूरन कीजो काज। दया करो हे भगवती, रखियो मेरी लाज।।
रिद्धि सिद्धि बुद्धि दाता, गौरी पुत्र गणेश बार-बार प्रणाम करूँ, हे प्रथम पूज्य नरेश।। (1) जय गणपति, जय जय गणनायक। आओ पधारो मेरे विघ्न विनायक।। ब्रह्मा भी आए, विष्णु भी आए, सरस्वती संग आए मेरे बुद्धि दायक।। शिवजी भी आए, नन्दी भी आए, पार्वती मैया जगाए लल्ला शुभदायक।। रामा भी आए, कृष्णा भी आए, लक्ष्मी संग विराजे मेरे सिद्धिविनायक।। साधु भी आए, संतन भी आए, भक्तों के संग आए मेरे विश्वविनायक।। "ये भजन राजस्थानी भक्ति गीत से प्रेरित होकर लिखा है।,, (2) जय गणपति, जय जय गणनायक। आओ पधारो मेरे विघ्न विनायक।। गंगा जल लाए, फूल भी लाए, सुंदर सिंहासन विराजे मेरे शुभदायक।। तुमको ध्याएँ, देव मनाएँ, हे सुन्दर पीताम्बर, शिव-गौरी के बालक।। छोटे से बालक, मन भाए मोदक, लड्डू का भोग लगाए मेरे जगपालक।। काज हमारे, तुम्हीं संवारे, मूषक सवारी कर आए मेरे गणनायक।।
ऐसा भी एक दिन था, जब देश के खातिर भुखे ने भी उपवास रखा, देश के पहले नागरिक ने अपने आँगन में हल चलाया, तब लेकर हरित क्रांति की मिसाल किसान ने धरती से सोना उगाया, देश को अन्न का भंडार दिया, भूख से नाता तोड़ दिया, ये किसान है माटी का लाल है दो धारी तलवार है कर ना साजिशें नीति बीच की। सत्य है शाश्वत है ये वार पे वार सब बेकार है। देश का स्तंभ, इसे मौसमों से ना डरा, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर, दिन-रात, खेत-खलयान, खुला आसमान, सब हैं इसके सखा। हर गीत में, प्रीत में बसी है इसकी कथा। ये है मेरा ''अन्नदाता'' "अन्नदाता सुखी भव" "अन्नदाता सुखी भव" "अन्नदाता सुखी भव" 8/12/20 "किसान आंदोलन "
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